यमुनानगर, 31 अक्तूबर( )-चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र दामला द्वारा 30 अक्टूबर 2020 को पांच दिवसीय अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए खुंबी उत्पादन प्रशिक्षण का समापन किया गया
इस अवसर पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बी.आर. कांबोज ने मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत की।
डॉ. बी.आर. काम्बोज ने प्रशिक्षण प्रतिभागियों का आह्वान करते हुए कहा कि छोटे किसान व भूमिहीन किसान एक छोटा सा प्रशिक्षण लेकर अपनी आजीविका सही तरीके से चला सकता है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण से भी अवगत कराया और उन्होंने यह भी बताया कि खुंबी उत्पादन कर वह अपने परिवार लिए तो खाने की पूर्ति करता ही है साथ ही साथ अन्य लोगों को भी पौष्टिक खुंबी उपलब्ध कराता है जिससे उसकी आमदनी में भी बहुत अच्छा सुधार हो जाता है।
कृषि विज्ञान केंद्र दामला के वरिष्ठ संयोजक डॉ. एन.के. गोयल ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र दामला हमेशा आपके कृषि से संबंधित किसी भी प्रकार की तकनीकी सहायता व प्रशिक्षण के लिए तत्पर है तथा केंद्र पर अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए विभिन्न प्रकार की नि:शुल्क प्रशिक्षण का आयोजन करवाता रहता है जिसमें कोई भी भाग लेकर अपनी आजीविका को चलाने के लिए प्रशिक्षण ले सकता है।
कृषि उपनिदेशक डॉ. सुरेंद्र यादव ने किसानों को बताया कि वह पराली ने जलाएं या तो उसे मिट्टी में मिलाएं या फि र बेलर की सहायता से उसके बंडल बनाकर स्टोर करें ऐसा करने पर कृषि विभाग आपको 1000 प्रति एकड़ का अनुदान देगा और यदि आप उसमें खुंबी का उत्पादन करना चाहते हैं तो हमारे विभाग की तरफ से आपको विभिन्न प्रकार से सहायता की जाएगी व अनुदान भी दिया जाएगा। डॉ. भटनागर वरिष्ठ संयोजक कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र ने खुंबी उत्पादन की तकनीकी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गेहूं का भूसा व धान की पराली से खुंबी की कंपोस्ट तैयार करने के लिए लगभग 28 दिन का समय लग जाता है जिसमें तापमान व अमोनिया का विशेष ध्यान रखा जाता है फि र कंपोस्ट को बैगों में भरकर उस पर खुंबी का बीज की केसिंगा की जाती है तथा उसे छायादार स्थान पर रखकर 35 से 40 दिन बाद खुंबी की पहली तूड़ाई की जा सकती है तथा उन्होंने विभिन्न प्रकार की रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी।
प्रशिक्षण संयोजक डॉ. फ तेह सिंह ने बताया कि सफेद बटन मशरूम का उत्पादन नवंबर से लेकर मार्च तक किया जा सकता है तथा उन्होंने विभिन्न प्रकार की मशरूम के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी तथा उन्होंने बताया कि सोनीपत के बाद यमुनानगर खुंबी उत्पादन में दूसरा स्थान रखता है जिसे लोगों ने व्यवसाय के तौर पर अपनाया हुआ है इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र का स्टाफ डॉ. अनिल कुमार डॉ. अजीत सिंह, डॉ. करण सैन, तमिष कपूर वह 60 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहें।