यमुनानगर:-मानव श्रंखला बनाकर किसान आंदोलन को दिया समर्थन।
अध्यापक, व्यापारी, वकील, ग्रहणी, युवा वर्ग
ने किसान आंदोलन को दिया समर्थन।
आगाज संस्था के बैनर तले एकत्रित हुए विभिन्न वर्ग के लोगों ने देश भर में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए नेहरू पार्क पर एक दूसरे का हाथ पकड़कर मानव श्रृखला बनाई और। और संगठित होकर किसान के साथ कंधे से कंधा मिलाने का संदेश दिया।
आगाज संस्था के अध्यक्ष बलबीर सिंह ने बताया कि पूरे देश भर में जो किसान आंदोलन चल रहे हैं उससे साफ जाहिर होता है कि कृषि कानून किसान हितेषी नहीं है बल्कि किसान विरोधी है। क्योंकि अगर एक या दो किसान संगठन इनका विरोध कर रहे होते तो शायद एक बार को माना जा सकता था कि उन्हें किसी से बहला फुसला लिया है। लेकिन पूरे देश के 400 से 500 बड़े किसान संगठन आज इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं इससे साफ जाहिर है कि दाल में कुछ ना कुछ काला जरूर है।
युवाओं का नेतृत्व कर रहे गौरव चौधरी ने बताया कि अगर आज किसान को उसकी फसल का पूरा दाम नहीं मिलेगा तो उसे खेती किसानी को छोड़ना पड़ेगा और वह काम की तलाश में शहर की तरफ पलायन करेगा जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी इसलिए युवा वर्ग इस कृषि कानून का खुलकर विरोध कर रहा है।
व्यापारियों का नेतृत्व कर रहे हैं राजेश बिंद्रा ने बताया कि अगर किसान की जेब में ₹2 नहीं पहुंचेंगे तो उसके क्रय करने की क्षमता घट जाएगी जिससे वह बाजार में खरीदारी के लिए नहीं निकलेगा और व्यापारियों को भी भारी नुकसान पहुंचेगा। यानी खेती किसानी और व्यापारी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं अतः हम कृषि कानून का विरोध करते हुए किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
गृहणियों का नेतृत्व कर रही हरविंदर ढिल्लो ने बताया कि घर में जितना भी सामान आता है वह खेती किसानी से जुड़ा हुआ है. जब किसान को भारी नुकसान होगा तो वह खेती किसानी छोड़ देगा। अगर खेती किसानी कॉर्पोरेट के हाथों में चली गई तो रसोई का खर्च बढ़ जाएगा और घर को चलाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए गृहणियां भी इन कृषि कानून का विरोध कर रही है और किसान आंदोलन का समर्थन करने यहां पर उपस्थित है।
अध्यापकों का नेतृत्व कर रहे अनुरोध ने बताया कि अध्यापक का कार्य सच को पढ़ना और सच का प्रचार प्रसार करना है। देश में 65% जनता खेती किसानों पर निर्भर है। आज इस 65 से 70% जनता इन कृषि कानूनों के नीचे दबने कि स्थिति में है इसलिए आज हम इन कानून का विरोध करते हुए किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए यहां आए है।
वकीलों का नेतृत्व कर रहे साहिल शर्मा ने बताया कि कृषि कानून को देखकर ही लगता है कि इसमें किसानों के हित के लिए कुछ नहीं है यह पूंजी पतियों को बढ़ावा देने और खेती किसानी को उनके कब्जे में करवाने के कानून है। साथ ही विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर किसान के पास न्यायालय का दरवाजे खटखटाने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा इसलिए यह कानून पूरी तरह से किसान विरोधी है। इसीलिए हम यहां पर आए हैं और किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
कार्यक्रम को कॉर्डिनेट करें सुमित पाल सिंह ने बताया कि इन कृषि कानून का विरोध सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसान ही नहीं कर रहे हैं लेकिन पूरे देश में किसान आंदोलन चल रहे हैं दक्षिण से लेकर उत्तर तक और पश्चिम से लेकर पूर्व तक सभी किसान संगठन अपने अपने राज्य में इन कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं।
जब सभी उद्योग-धंधे, व्यवसाय आर्थिक मंदी के दौर में नीचे की तरफ गिर रहे थे तब कृषि ही ऐसा क्षेत्र था जिसने तीन से चार साडे 3% की बढ़ोतरी दिखाकर अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक संभाले रखा ऐसे में इन कृषि कानून के आने से कृषि व्यवस्था चरमरा जाएगी इसलिए सरकार को इस पर दोबारा से सोचना ही होगा.





