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यमुनानगर:-आरसी फर्जीवाड़ा में जांच जारी, अभी तक मात्र 100 फाईले ही मिल सकी

आरसी फर्जीवाड़ा में जांच जारी, अभी तक मात्र 100 फाईले ही मिल सकी


यमुनानगर:-आरसी फर्जीवाड़ा की जांच कर रही एसआइटी कंप्यूटर आपरेटर अमित कुमार व एमआरसी जगाधरी राजेंद्र डांगी से पूछताछ में लगी है। दोनों को साथ लेकर रिकार्ड रूम से फाइलें खंगाली जा रही है, लेकिन अभी तक मात्र 100 फाइलें ही मिल सकी है। यह दिक्कत इसलिए भी आ रही है कि रिकार्ड रूम में कोई भी स्टोर कीपर नहीं है। लाखों फाइलें पड़ी हैं। इनमें से फर्जीवाड़े की फाइलें ढूढऩा काफी मुश्किल है।अभी एसआइटी आरोपितों को लेकर रिकार्ड रूम से फाइलें खंगाल रही है, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि जिन वाहनों के फर्जी दस्तावेज बने। उनकी फाइलें ही रिकार्ड रूम में न हो। दोनों आरोपितों का रिमांड 23 फरवरी को खत्म होगा। ऐसे में एसआइटी फिर से रिमांड बढ़वा सकती है। एसआइटी के इंस्पेक्टर राकेश मटौरिया ने बताया कि हम रिकार्ड जुटा रहे है। कुछ रिकार्ड मिल गया है। उसकी जांच की जा रही है। कुछ गाडिय़ां भी एसआइटी कर चुकी बरामद -केस की तफ्तीश के दौरान एसआइटी ने कुछ गाडिय़ां भी बरामद की है। इन गाडिय़ों को बेचने वाले डीलरों का भी पता लगाया जा रहा है। वहीं जांच में सामने आया है कि जगाधरी एसडीएम कार्यालय से जिन गाडिय़ों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। वह सोनीपत व रोहतक में बेची गई हैं। दो एजेंटों सोनीपत निवासी कृष्ण व रोहतक निवासी रामनिवास का नाम पता लगा है। उनकी भी तलाश की जा रही है। अभी तक यही पता लगा है कि यह दोनों एजेंट आरोपित अमित व राजेंद्र डांगी के पास आते थे।रिकार्ड खंगालने में छूट रहे पसीने -करीब 15 दिन से एसआइटी केस की जांच में लगी है। अभी तक रिकार्ड ही खंगाला जा रहा है। जगाधरी एसडीएम कार्यालय तक का रिकार्ड पूरी तरह से नहीं मिल पाया है। जबकि एसआइटी को तीन साल का रिकार्ड खंगालना है। लाखों फाइलों में से फर्जीवाड़े की फाइलें तलाशनी है। जब तक पूरा रिकार्ड नहीं मिलेगा, तब तक जांच भी पूरी नहीं होगी और न ही फर्जी कागजों पर चल रही गाडिय़ां पकड़ में नहीं आएगी।प्रशासनिक अफसरों में बैचेनी -बताया जा रहा है कि आरोपित अमित व राजेंद्र डांगी ने इस फर्जीवाड़े में शामिल कई कर्मियों व प्रशासनिक अफसरों के नाम भी जांच टीम के सामने लिए हैं। सिरसा पुलिस की रिमांड के दौरान भी अमित ने प्रशासनिक अफसरों के नाम लिए। ऐसे में तीन साल में तैनात रहे प्रशासनिक अफसरों में भी बैचेनी है। पुलिस की जांच के लपेटे में अब वह भी आ सकते हैं।

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