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यमुनानगर:-हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा उन जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क कानूनी सुविधाए उपलब्ध करवाई जाती है जिनके परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रूपये है।

यमुनानगर:-हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा उन जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क कानूनी सुविधाए उपलब्ध करवाई जाती है जिनके परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रूपये है।


यह जानकारी देते हुए जिला एवं सत्र न्यायधीश व जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण यमुनानगर के अध्यक्ष दीपक अग्रवाल ने आम जनता से अपील की है कि वे जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा दी जाने वाली नि:शुल्क कानूनी सहायता का लाभ उठाए ताकि इसके उदेश्य को सफल किया जा सके। उन्होंने बताया कि विधिक सेवाएं प्राधिकरण का उदेश्य लोगों को सस्ता व शुलभ न्याय उपलब्ध करवाना है ताकि कोई जरूरतमंद व्यक्ति आर्थिक साधनों के अभाव के कारण न्याय से वंचित न रहे। प्राधिकरण द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के सदस्यों, मानव दुव्र्यवहार के शिकार लोगों, बेगार के शिकार व्यक्ति, महिलाओं एवं बच्चों, सामूहिक विनाश के प्रभावित व्यक्ति जैसे जातीय हिंसा, बाढ़, भुकम्प, औद्योगिक श्रमिक, कारागार व किशोर सुधार गृहों में बंद व्यक्ति, दिमागी रूप से कमजोर व्यक्ति, भूतपूर्व सैनिक तथा ऐसे व्यक्तियों के परिवारों जो युद्ध में मारे गए हो, दंगा पीडि़त तथा आंतकवाद पीडि़त, स्वतंत्रता सेनानी तथा वह सभी लोग जिनकी वार्षिक आय 3 लाख रूपये से कम हो, को मुफ्त कानूनी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती है।दूसरी ओर जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण यमुनानगर के सचिव व सीजेएम डॉ. कविता काम्बोज ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो नि:शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करना चाहता है, वह सादे कागज पर प्रार्थना पत्र दे सकता है। उच्च न्यायलय स्तर पर प्रार्थना पत्र हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण चण्डीगढ के सदस्य को देना होगा। इसी प्रकार जिला स्तर पर प्रार्थना पत्र जिला एवं सत्र न्यायधीश व अध्यक्ष या जिला विधिक सेवाए प्राधिकरण के सचिव एंव मुख्य न्याायिक मैजिस्ट्रेट को देना होगा। उपमण्डल स्तर पर प्रार्थना पत्र अतिरिक्त सिविल न्यायधीश (वरिष्ठ श्रेणी),  वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी एंव उपमण्डल विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष को देना होगा। इस प्रार्थना पत्र में पीडि़त व्यक्ति को अपने साथ हुए अन्याय या मुकदमें का संक्षिप्त विवरण, नाम, आय की सीमा इत्यादि लिखकर देना होगा। इसके साथ ही पीडि़त व्यक्ति को अपनी वार्षिक आय के बारे में शपथ पत्र भी सलंग्ति करके देना होगा। यदि व्यक्ति पिछड़ी जाति, जनजाति या अनुसूचित जाति से सम्बंध रखता हो तो उसका प्रमाण पत्र साथ लगाए। यदि व्यक्ति नि:शुल्क कानूनी सहायता का पात्र होगा तो उसे मुकदमें की पैरवी के लिए वकील उपलब्ध करवाया जाएगा और इस वकील की फीस, गवाहों का खर्चा तथा कागजो का खर्चा विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा वहन किया जाएगा। 

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