यमुनानगर:-संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज की जयंती के अवसर पर अपना शुभकामना संदेश देते हुए शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा
कि गुरु रविदास जी द्वारा कहे गए पद, दौहे मानव जीवन को नई दिशा व मार्गदर्शन का बोध कराते है,गुरू जी द्वारा कहे गए दौहे जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात ,रैदास मनुष ना जुड़ सके,जब तक जाति न जात ,इसका भावार्थ यह है कि जिस प्रकार केले के तने को छीला तो पत्ते के नीचे पत्ता, फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता, लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है , ठीक उसी तरह इंसानों को भी जातियों में बांट दिया गया है। जातियों के विभाजन से इंसान तो अलग-अलग बंट ही जाते हैं, अंत में इंसान खत्म भी हो जाते हैं,लेकिन यह जाति खत्म नही होती।संत परंपरा के महान योगी व परम ज्ञानी संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने बताया कि संत रैदास जी ने कहा कि जो लोग श्रम को ही ईश्वर जानकर श्रम की पूजा करते है,उन्हें संसार के सभी सुख चैन मिलते है,एक बार एक पर्व के अवसर पर उनके पड़ोस के लोग गंगा-स्नान के लिए जा रहे थे, रैदास के शिष्यों में से एक ने उनसे भी चलने का आग्रह किया तो वे बोले, गंगा-स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किन्तु एक व्यक्ति को जूते बनाकर आज ही देने का मैंने वचन दे रखा है ,यदि मैं उसे आज जूते नहीं दे सका तो वचन भंग होगा , गंगा स्नान के लिए जाने पर मन यहाँ लगा रहेगा तो पुण्य कैसे प्राप्त होगा। मन जो काम करने के लिए अन्त:करण से तैयार हो वही काम करना उचित है। मन सही है तो इस कठौते के जल में ही गंगास्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है। कहा जाता है कि इसके बाद यह कहावत प्रचलित हो गयी कि - मन चंगा तो कठौती में गंगा, शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने बताया कि मेरा मानना है कि जो नागरिक, मानव मात्र की समानता और एकता में विश्वास रखता है और जो सभी प्राणियों के प्रति करुणा और सेवा का भाव रखता है, ऐसे प्रत्येक व्यक्ति गुरु रविदास जी के अनुयाई है , मानवता का कल्याण इसी में है कि हम सब लोग संत शिरोमणि गुरू रविदास जी के बताए मार्ग पर चलते हुए अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को आगे बढ़ाएं।

