यमुनानगर, 20 अक्तूबर( )उपायुक्त मुकुल कुमार ने बताया है कि हरियाणा सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि यन्त्र स्ट्रा बेलर द्वारा फसल अवशेषों का प्रबन्धन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने हेतू अनुमानत: 20 क्विटंल पराली प्रति एकड़ के हिसाब से 50 रूपये प्रति क्विटंल की दर पर प्रोत्साहन स्वरूप एक हजार रूपये की राशि प्रति एकड़ के लिये दी जायेगी
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उप कृषि निदेशक सुरेन्द्र यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रोत्साहन राशि का लाभ लेने हेतू किसान को विभागीय पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होगा व कृषि यन्त्र स्ट्रा बेलर के उपयोग से फसल अवशेष (पराली) की बनाई गई गांठ/बेल के निश्पादन हेतू अपने नजदीकी उद्योग/फैक्टरी/पंचायत का चयन करना होगा। उन्होंने बताया कि प्रोत्साहन राशि उस किसान को दी जायेगी जो किसान उद्योग/फैक्टरी को बेचे गये फसल अवशेष (पराली) की गांठ/बेल के बिक्री का बिल प्रस्तुत करेंगा व यह राशि उस किसान को भी दी जायेगी जो पराली की गांठ/बेल का भण्डारण ग्राम पंचायत द्वारा दिये गये क्षेत्र में करेगा। इसके लिये ग्राम पंचायत व विभागीय कर्मचारी/अधिकारी प्रमाणित करेंगें कि किसान ने कितने क्षेत्र की पराली की गांठ/बेल की मात्रा का भण्डारण किया है। उन्होंने बताया कि उद्योग/फैक्टरी द्वारा जारी किए गए सभी बिक्री बिलों व भण्डारण का प्रमाण पत्र जो ग्राम पंचायत द्वारा दिया गया हैं। उन्होंने बताया कि उपायुक्त मुकुल कुमार की अध्यक्ष्ता में जिला स्तरीय कार्यकारिणी कमेटी द्वारा सत्यापित किया जायेगा ताकि पात्र किसान को प्रोत्साहन राशि का लाभ दिया जा सके। सहायक कृषि अभियन्ता विनीत जैन ने बताया कि किसानों को अपने फसल अवशेषों में आग लगाने की आवश्यकता नहीं है। वह अपने ईन-सीटु माध्यम से फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर अथवा एक्स-सीटु माध्यम से स्ट्रा बेलर द्वारा गांठ बनाकर उचित प्रबन्धन कर सकते है। इस हेतू प्रयाप्त मात्रा में ईन-सीटु कृषि यन्त्र किसानों को उपलब्ध करवाये गये हैं अथवा किसान इन यन्त्रों को नजदीकी कस्टम हायरिंग केन्द्र से किराये पर ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त जो किसान स्ट्रा बेलर के उपयोग से फसल अवशेष (पराली) की गांठ/बेल बनाने के इच्छुक हैं वह अपने नजदीकी कस्टम हायरिंग केन्द्र अथवा निजि किसान जिनके पास स्ट्रा बेलर उपलब्ध हैं उनसे संपर्क करके अपने फसल अवशेषों का एक्स-सीटु माध्यम से उचित प्रबन्ध कर सकते है। उन्होंने बताया है कि जिले में लगभग 15 स्ट्रा बेलर कार्य कर रहे है। इनमें से रमनदीप वालिया, गांव अम्बली, गौरव सैनी, गांव लाहड़पुर, करनैल सिंह, गांव गधौली, विक्रम, गांव जड़ोदा, जोशन लाल, गांव नागल, मनिन्द्र सिंह, गांव कड़कौली प्रमुख रूप से पराली की गांठ बनाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिन व्यक्तिगत किसानों व समितियों द्वारा कस्टम हायरिग केन्द्रों की स्थापना हेतू फसल अवशेष प्रबन्धन कृषि यन्त्रों पर अनुदान हेतू का चयन कर लिया गया था परन्तु किसी कारणवश 19 अक्तूबर 2020 तक अपने कृषि यन्त्र खरीद के बिल विभागीय पोर्टल पर अपलोड नहीं कर सके थे, अब ऐसे किसान 25 अक्तूबर 2020 तक अपने कृषि यन्त्र खरीद के बिल विभागीय पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं, ताकि ऐसे सभी किसानों को अनुदान का लाभ दिया जा सके। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा दी जाने वाली किसी भी प्रकार की सहायता राशि प्राप्त करने के लिये सभी स्ट्रा बेलर मालिकों व जिलें में स्थापित नये व पुराने सभी कस्टम हायरिंग केन्द्रों को भारत सरकार की ऐन्डरॉयड मोबाईल ऐप स्न्रक्ररूस् पर अपना पंजीकरण करवाना अनिवार्य हैं ताकि इसी मोबाईल ऐप के माध्यम से ही किसानों को उचित किराया दर पर कृषि यन्त्र उपलब्ध करवाये जा सके।उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं को कम करने व किसानों को पराली में आग नहीं लगाने बारे जागरूक करने के लिये विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा किसानों के खेेतों में एक्स-सीटु (स्ट्रा बेलर व हे रेक) व ईन-सीटु (हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रिवर्सिबल प्लो, मल्चर, रोटावेटर, पैडी चोपर, रोटरी स्लै) इत्यादि फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यन्त्रों के प्रदर्शन भी आयोजित किये जा रहे है। किसानों को फसल अवशेषों में आग न लगाने व आधुनिक कृषि यन्त्रों के उपयोग बारे ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा सके। उन्होंने बताया कि यदि कोई छोटा किसान मशीन को खरीदने में सक्षम नहीं है तो वह जिले में स्थापित कस्टम हायरिंग केन्द्र पर उपलब्ध कृषि यन्त्रों को उचित किराये पर प्रयोग करने हेतू लेे सकता है।