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यमुनानगर:-स्वास्थ्य विभाग यमुनानगर द्वारा 25 फरवरी 2021 को गुरू गोबिन्द सिंह कॉलेज ऑफ फारमैसी यमुनानगर में थैलेसीमिया का प्रबंधन और जागरूकता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

यमुनानगर:-स्वास्थ्य विभाग यमुनानगर द्वारा 25 फरवरी 2021 को गुरू गोबिन्द सिंह कॉलेज ऑफ फारमैसी यमुनानगर में थैलेसीमिया का प्रबंधन और जागरूकता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।



  जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल तथा सम्मानीय अतिथि के रूप में सिविल सर्जन डॉ विजय दहिया उपस्थित रहे।इस अवसर पर शिक्षा मंत्री के कर कमलों द्वारा थैलेसीमिया एण्ड ईटस मैनेजमेन्ट नामक पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसका लेखन सिविल सर्जन डॉ विजय दहिया ने किया है। कार्यशाला के आरम्भ में प्रधानाचार्य कुमार गौरव ने मुख्यअतिथि व सम्मानीय अतिथि के साथ-साथ सभी उपस्थित अधिकारियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा किथैलेसीमिया एक भयानक बिमारी है, जो बच्चों में जन्म से होती है तथा यह बिमारी माता-पिता से बच्चों में आती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्य शालाओं के आयोजन से छात्रों में जागरूकता आती है तथा फार्मेसी के छात्र तो स्वास्थ्य की पढाई करते हैं तथा स्वय के साथ-साथ अन्यों को भी बिमारी के प्रति जागरूक कर सकते हैं। पुस्तक के विमोचन के साथ ही मंत्री ने डा दहिया को बधाई दी तथा कहा कि विशेषज्ञों द्वारा ही पूर्ण जानकारी का प्रवाह हो सकता है तथा डा विजय दहिया की यह पुस्तक बिमारी से ग्रस्त रोगियों के तो काम आयेगी ही साथ ही स्वास्थ्य विद्यार्थियों के लिये भी लाभकारी होगी। उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में हमारे पूर्वज गोत्र में या परिवार कुण्डबे में विवाह को मना करते थे, जिसका अब वैज्ञानिक कारण भी मिल गया है कि अधिकतर गोत्र में या परिवार में विवाह करने वाले दम्पतियों के बच्चों में कई अनुवांशिक बिमारियॉं हो सकती हैं। इसी प्रकार यदि लडका-लडकी थैलेसीमिया माईनर हों तो उनके बच्चे थैलेसीमिया ग्रस्त होते हैं। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ दहिया ने पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि यह पुस्तक थैलेसीमिया की बिमारी पर आधारित है। उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया की बिमारी बच्चों में उनके माता-पिता से होती है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति में थैलेसीमिया मेजर या माईनर हो सकता है, थैलेसीमिया मेजर व्यक्ति को समय-समय पर रक्त चढाने की आवश्यकता होती है परन्तु थैलेसीमिया माईनर व्यक्ति को तो पता भी नहीं चलता की उसे कोई समस्या भी है, परन्तु ऐसा व्यक्ति थैलेसीमिया कैरियर का काम करता है। उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को समय-समय पर रक्त चढाना पडता है, जिससे रक्त में आईरन की मात्रा अधिक होने लगती है, जो कि बच्चों में विभिन्न प्रकार के विकार उत्पन्न कर सकता है। अत: आईरन की मात्रा को बढने से रोकने के लिये रोगी को चिलेशन की दवायें लेनी पडती है तथा सिविल अस्पताल यमुनानगर में इस प्रकार के मरीजों के लिये रक्त चढाने व दवाओं की पूर्ण सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल में थैलेसीमिया रोगियों के लिये विशेष वार्ड बनाया गया है, जिसमें रोगियों के लिये सभी सुविधायें स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध हैं तथा समय- समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन भी विभाग द्वारा किये जाते हैं तथा थैलेसीमिया के लिये विशेष रक्त स्वय सेवक भी जिले में सक्रिय हैं, जो आपातकाल में रोगियों को रक्त उपलब्ध कराते हैं।इस कार्यशाला के दौरान डॉ अश्वनी अलमादी द्वारा पीपीटी प्रस्तुतिकरण के माध्यम से छात्रों को थैलेसीमिया के बारे में पूर्ण जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि यह बिमारी माता-पिता से बच्चों को होती है। अत: यदि माता-पिता थैलेसीमिया मेजर हों तो बच्चे थैलेसीमिया मेजर होते हैं परन्तु यदि माता-पिता के थैलेसीमिया माईनर होने की स्थिति में वे थैलेसीमिया कैरियर होंगे तथा उनके बच्चों को थैलेसीमिया होने की 50 प्रतिशत सम्भावना होती है। उन्होंने बताया कि इस बिमारी की रोकथाम के लिये तीन कदम उठाये जा सकते हैं तथा विश्व के कुछ देशों द्वारा तो इन तीनों प्रक्रियाओं को अपना कर देश से इस बिमारी को पूर्ण रूप से नियंत्रण पा लिया गया है।  उन्होंने बताया कि इसके लिये स्क्रीनिंग, अनुवांशिक, जैनेटीक परामर्श व प्रसव पूर्व निदान द्वारा बच्चों में थैलेसीमिया होने से रोका जा सकता है। इस कार्यशाला के दौरान स्वास्थ्य विभाग से उप-सिविल सर्जन डॉ दीपिका गुप्ता, डॉ राजेश परमार, डॉ विजय परमार, डॉ बुलबुल कटारिया, डॉ वागीश गुटेन, डॉ पुनित कालडा व गुरू गोबिन्द सिंह कॉलेज ऑफ  फार्मेसी से प्रधानाचार्य कुमार गौरव के साथ-साथ अन्य शिक्षक व फार्मेसी के छात्र उपस्थित रहे।


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