यमुनानगर:-चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र दामला द्वारा गांव बकाना में गेहूं में संतुलित उर्वरकों के प्रयोग पर खेत दिवस का आयोजन किया गया
। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक व मृदा विशेषज्ञ डॉ.नरेंद्र गोयल ने किसानों को संबोधित करते हुए आह्वान किया कि किसान भाइयों को गेहूं की फसल को लागत प्रभावी बनाने के लिए संतुलित उर्वरकों का उपयोग करने की सलाह दी।उन्होंने बताया कि फसल के अवशेषों को मिट्टी में मिलाने के साथ-साथ नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की अनुसंधान द्वारा तय की गई मात्रा का ही उचित समय पर ही इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने जिप्सम का प्रयोग करने की भी सलाह दी। उन्होंने बताया कि फसल को 17 पोषक आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत होती है इसमें से कुछ पोषक तत्व हवा से कुछ पानी से तथा कुछ मिट्टी से प्राप्त होते हैं और यदि मिट्टी की जांच कराई जाए तो एक खेत से दूसरे खेत की मिट्टी जांच में भिन्नता पाई जाती है तथा जिसके परिणाम स्वरूप भिन्न-भिन्न खेत में उर्वरकों की भी भिन्न-भिन्न मात्रा की आवश्यकता होती है इसलिए मिट्टी की जांच 2 से 3 साल बाद अवश्य करा लेनी चाहिए तथा मिट्टी की जांच के हिसाब से ही खेत में रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे किसान फसल को लागत प्रभावी बना सकता है। उर्वरकों की कम मात्रा व अत्यधिक मात्रा दोनों ही स्थिति फसल में बीमारी व कीट पतंगों को निमंत्रण देते हैं।डॉ अजीत सिंह ने किसानों को बताया कि आगामी दिनों में मौसम शुष्क रहेगा और दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी होगी इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वह गेहूं की फसल में हल्की सिंचाई करें ताकि गेहूं में नमी बरकरार बनी रहे। हल्की सिंचाई करने से हवा की गति से गेहूं के गिरने की संभावना भी कम हो जाती है।प्रशिक्षण सहायक करण सिंह सैनी ने जायद की सब्जियां लगाने के बारे में पूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जो किसान व्यवसायिक स्तर पर सब्जियां नहीं लगा पाते उन्हें घरेलू उपयोग के लिए सब्जियां अवश्य लगा लेनी चाहिए, इसके साथ उन्होंने गमलों में शाकवाटिका, गृह उद्यान तथा छत पर टेरेस गार्डनिंग के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर गांव के प्रगतिशील किसान सतीश व अन्य लगभग 50 किसानों ने हिस्सा लिया।